उल्हासनगर:
गिलियन-बरे सिंड्रोम (GBS) एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो शरीर की रोग प्रतिकारक प्रणाली पर प्रभाव डालती है। यह बीमारी आमतौर पर कुछ विषाणुजन्य या जीवाणुजन्य संक्रमणों के बाद उत्पन्न होती है। इसके लक्षणों में हाथ-पैरों में सुन्नता या कमजोरी, संतुलन में समस्या, और कुछ मामलों में श्वसन संबंधी कठिनाइयाँ शामिल हैं।
हाथ-पैरों या शरीर के किसी भाग में चिंगारी जैसा अनुभव या सुन्नता, स्नायुओं की कमजोरी, विशेष रूप से पैरों से शुरू होकर पूरे शरीर पर असर
संतुलन खोना या चलते समय अड़चन, कुछ रोगियों में श्वास लेने में कठिनाई।
GBS का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह अधिकतर संक्रमण के बाद उत्पन्न होता है। विशेष रूप से श्वसन संबंधी संक्रमणों के बाद इसके लक्षण देखे जाते हैं। कुछ मामलों में, टीकाकरण के बाद भी GBS की संभावना होती है, लेकिन यह बहुत ही दुर्लभ है।
GBS एक आपातकालीन चिकित्सा स्थिति है और इसके लिए त्वरित उपचार की आवश्यकता होती है। उचित निदान और उपचार के साथ, रोगी जल्दी ठीक हो सकता है। मुख्य उपचार विधियाँ हैं:
इम्युनोग्लोब्यूलिन थेरेपी: रोग प्रतिकारक प्रणाली को नियंत्रित करने के लिए।
प्लाज्मा एक्सचेंज: रक्त में हानिकारक एंटीबॉडी को कम करने के लिए।
फिजियोथेरेपी: मांसपेशियों की गति में सुधार के लिए आवश्यक।
GBS के लिए कोई ठोस रोकथाम उपाय नहीं हैं, लेकिन संक्रमण से बचने के लिए उचित स्वच्छता, संतुलित आहार और रोग प्रतिकारक क्षमता बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
GBS एक जीवन-धातक स्थिति हो सकती है, लेकिन त्वरित उपचार से रोगी पूरी तरह से ठीक हो सकता है। किसी भी संदिग्ध लक्षणों के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
यदि आपको कोई लक्षण महसूस हो, तो नजदीकी अस्पताल या नागरिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
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