उल्हासनगर में राजनीतिक हलचल: संभावित उलटफेरों के मिल रहे है संकेत।

 


उल्हासनगर:

उल्हासनगर में पांचवी बार भाजपा ने कुमार आयालनी को विधान सभा चुनावी मैदान में उतारा है, दो बार जीत और दो बार हार का स्वाद चख चुके कुमार आयलानी को इस बार  एकनाथ शिंदे की शिवसेना का समर्थन नहीं मिल रहा है। जो कि इस बार की चुनावी लड़ाई में कई मुसीबत खडी  कर सकते हैं।

एनसीपी के अजित पवार के शहर अध्यक्ष भरत गंगोत्री ने भी अपनी उम्मीदवारी को मजबूत रूप से खड़ा किया है। भाजपा के उम्मीदवार को एकनाथ शिंदे और अजित पवार के स्थानीय इकाईयों से समर्थन नहीं मिल पा रहा है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।

वहीं दूसरी ओर भाजपा के उत्तर भारत मोर्चे के नेता संजय गुप्ता ने भाजपा छोड़ वंचित बहुजन से चुनावी मैदान में उतरे है, भाजपा की अंदरूनी विरोध ने स्थिति को और भी मुश्किल बना दिया है। भाजपा शहर अध्यक्ष प्रदीप रामचंदानी  को भी टिकट की लालसा  थी मगर उनके मंसूबो को भाजपा आलाकमान ने ध्वस्त कर दिया ।जिससे रामचंदानी बौखलाकर बिना सोचे समझे बयान देने लगे और इसी कडी में उन्होंने मुख्यमंत्री को गद्दार की उपाधी दे डाली ।जो कि कुमार आयलानी की स्थिति को और जटिल करती है। 

दूसरी तरफ भगवान भालेराव आरपीआई से निकालने के बाद एमएनएस की सीट पर चुनाव लड़नें से वोटों का बंटवारा तय है। 

अब बागी उम्मीदवारो की संख्या बढने से वोटों का बंटवारा तय माना जा रहा है, यह भाजपा और उनकी सहयोगी दलों के लिए एक चुनौती बन सकता है।

उल्हासनगर में इस बार के चुनाव कई नए राजनीतिक समीकरणों के साथ सामने आ रहा है। क्या ये नई परिस्थितियाँ उल्हासनगर में एक नए  विधायक के चुनाव का कारण बनेंगी? यह देखना दिलचस्प होगा।





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