ठाणे: कर्ण हिन्दुस्तानी
सांगली में हुई थी मराठी नाटकों की शुरुआत:
5 नवंबर को हर साल मनाए जाने वाले मराठी रंगभूमि दिवस पर महाराष्ट्र की रंगमंच परंपरा का Celebrations किया जा रहा है। 1843 में सांगली के चिंतामणराव आप्पासाहेब पटवर्धन की मदद से स्वर्गीय विष्णुदास भावे द्वारा मंचित पहले मराठी नाटक 'सीता स्वयंवर' ने मराठी नाटकों के इतिहास की नींव रखी।
मराठी नाटकों का दर्शकों पर गहरा प्रभाव:
मराठी नाटकों ने नृत्य, गायन, और अभिनय के माध्यम से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई है। पारिवारिक, सामाजिक और हल्के-फुल्के विषयों पर आधारित नाटक आज भी दर्शकों को आकर्षित करते हैं।
महानगरों से लेकर छोटे शहरों तक का योगदान:
महाराष्ट्र की लगभग हर नपा-मनपा क्षेत्र में नाट्यगृह का निर्माण किया गया है, जो दर्शकों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है। मराठी रंगभूमि अब महाराष्ट्र की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।
मराठी रंगभूमि दिवस की सभी को शुभकामनाएं!
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