सिंधी समुदाय का चालीस दिवसीय अखंड ज्योति महोत्सव 9 सितंबर को होगा समापन।

 




उल्हासनगर: 

सिंधी समुदाय का प्रसिद्ध चालिया पर्व, जो कि चालीस दिनों तक चलने वाला अखंड ज्योति महोत्सव है, 9 सितंबर 2024 को समाप्त होगा। इस अवसर पर मटकी मेले का आयोजन किया जाएगा, जहाँ भक्तजन जल देवता की पूजा-अर्चना करेंगे।

सिंधी समाज के लोग इस महोत्सव के दौरान व्रत-उपवास रखकर भगवान झूलेलाल की आराधना करते हैं। इन चालीस दिनों में सुबह-शाम झूलेलाल कथा का श्रवण किया जाता है। झूलेलाल मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिनमें कथा, आरती और भजन-कीर्तन शामिल होते हैं।

व्रत के दिनों में महिलाएं चार या पांच मुखी आटे का दीपक अपने घरों से लेकर भगवान की पूजा करती हैं। इसके साथ ही, वे चावल, इलायची, मिस्त्री और लौंग लेकर झूलेलाल भगवान की आराधना करती हैं। मटकी और बहराणा साहब का आयोजन भी इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

भगवान झूलेलाल के इस पर्व में जल की आराधना की जाती है, जो कि सिंधी समुदाय का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान भगवान झूलेलाल वरूणदेव का अवतरण करके भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं। जो लोग विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं।

यह व्रत महोत्सव दुनिया के किसी भी धार्मिक व्रत से लंबे समय तक चलने वाला माना जाता है। 76 वर्षों से प्रज्वलित अखंड ज्योति को साक्षी मानते हुए यह महोत्सव मनाया जाता है।

9 सितंबर 2024 को मटकी मेले का आयोजन संतों और महात्माओं के सानिध्य में उल्हासनगर कैम्प 5 के पुज्य चालिया साहब मंदिर में होगा। इस दिन हजारों भक्त सिर पर मटकी रखकर जल देवता की पूजा करते हैं और मटकी को जल में प्रवाहित करते हैं।

चालिया व्रत का यह महोत्सव ना केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी देता है। भक्तों की आस्था और श्रद्धा इस पर्व को विशेष बनाती है, और यह हर वर्ष लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित करता है।






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