शिर्डी:
एक ओर जहां राज्य सरकार ने श्री साईबाबा संस्थान के 598 ठेका कर्मचारियों को स्थायी सेवा में शामिल करने का निर्णय लिया है, वहीं दूसरी ओर संस्थान द्वारा वर्षों पुराने कर्मचारियों की हकालपट्टी की गई है। यह खबर सूत्रों के हवाले से सामने आई है।
सूत्रों के अनुसार, उन ठेका कर्मचारियों में से लगभग 100 ऐसे कर्मचारी शामिल हैं, जो 20 वर्षों से संस्थान में कार्यरत हैं लेकिन शिक्षित नहीं हैं। इन कर्मचारियों को हकालपट्टी का नोटिस दिया गया है, जिससे उनकी स्थायी नौकरी पर संकट आ गया है।
हालांकि, इन कर्मचारियों ने संस्थान से अपनी नौकरी वापस लेने की मांग की है और यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे हैं।
इस बीच, संस्थान द्वारा हाल ही में नए कर्मचारियों की भर्ती की गई है। यह भर्ती उन कर्मचारियों के लिए की गई है जो चौथी कक्षा तक पढ़े हैं, जिससे वर्तमान ठेका कर्मचारियों में और भी असंतोष पैदा हो गया है।
राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार, 2000 से पहले के 1052 ठेका कर्मचारियों को 2004 में स्थायी किया गया था। अब, करीब 20 साल बाद, सरकार ने 598 कर्मचारियों को स्थायी आधार पर नौकरी पर रखने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, 2023 तक 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को भी स्थायी किया जाएग।
श्री साईबाबा संस्थान में चल रहे इस विवाद ने कई सवाल उठाए हैं, जिसमें कर्मचारियों के अधिकार और संस्थान की नीतियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अब यह देखना होगा कि क्या संस्थान हकालपडट्टी का यह निर्णय वापस लेगा या कर्मचारी न्यायालय के माध्यम से अपने अधिकारों की रक्षा करेंगे।
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