बॉम्बे हाईकोर्ट की एक डिविजन बेंच ने कहा है कि किसी व्यक्ति को केवल आरोपों के आधार पर गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, जब तक कि पुलिस ने उन आरोपों की सच्चाई की जांच नहीं की हो।
यह आदेश 22 अगस्त को दिया गया, जिसकी जानकारी 27 अगस्त को उपलब्ध कराई गई। यह आदेश ठाणे के पत्रकार अभिजीत अर्जुन पडले की अवैध गिरफ्तारी के मामले में आया है। पडले को जबरन वसूली और आपराधिक धमकी के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से अधिकतम सजा क्रमशः चार साल और तीन साल तक हो सकती है।
जस्टिस रेवती मोहिते डेर और श्याम चंदक की बेंच ने इस मामले में कहा, "पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी का औचित्य बताना होगा, इसके अलावा उसके पास गिरफ्तारी का अधिकार होना चाहिए। किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी और पुलिस लॉकअप में रखने से उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा और आत्म-सम्मान को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है।"
यह निर्णय न केवल पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह सभी नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांत को भी स्थापित करता है कि बिना उचित जांच के किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। यह आदेश पुलिस के कार्यों में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को भी दर्शाता है।
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