उल्हासनगर:
पूज्य चालियाँ साहब मंदिर में अखण्ड भारत के विभाजन के बाद लगातार ज्योत प्रज्वलित हैं और अविभाजित अखंड भारत में पिछले 125 सालों से ज्यादा अखंडता से प्रज्वलित मानव निर्मित व मानव स्वचालित अखंड ज्योत महाराष्ट्र के उल्हासनगर कैंप 5 स्थित पूज्य चालियाँ साहब मंदिर में पिछले 77 सालों से एक ज्योत अखंड प्रज्वलित है, जो अखंड भारत के पीरघोट शहर से स्वतंत्र भारत में विभाजन के समय उल्हासनगर कैंप 5 स्थित पूज्य चालियाँ साहिब मंदिर में लाई गई सिंधी समाज भगवान झूलेलाल को वरुण देव व जलदेवता के रूप में भी पूजते हैं ।
उल्हासनगर व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश तेजवानी आगे विस्तृत जानकारी के साथ बताते हैं बहराणा साहिब के रूप भी पूजा जाता है. बहराणा साहिब में आटे के गूथे हुआ दिया जिसमें शुद्ध घी से ज्योत (एक लौ), मिश्री, इलायची , फल मेवा , लौंग और चावल हल्दी अखो शामिल हैं. मिट्टी के बर्तन में नारियल के साथ , कपड़े , फूल अर्पण कर भगवान झूलेलाल की मूर्ति के साथ बहराना साहब की पूजा की जाती है।
पवित्र ज्योत को अखंड प्रज्वलित रखने के लिए दिन में 2 बार सुबह 4 बजे और शाम 7 बजे तेल समर्पित किया जाता है। साथ ही लगभग हर 15 दिन में कपास की बाती बदली जाती हैं।
पिछले 77 सालों से अखंड प्रज्वलित ज्योत को नमन करके पूज्य चालिया साहिब मंदिर में ब्राह्मण के शुभ हाथों से धागा बांधकर संकल्प लेकर चालियाँ व्रत की शुरुआत की जाती हैं।
इसी ज्योत को साक्षी मानकर सिंधी समुदाय का चालीस दिवसीय चालियाँ व्रतपर्व पूज्य चालियाँ मंदिर उल्हासनगर कैंप नंबर 5 में सिंधी समाज चालीस दिनों तक व्रत-उपवास रखकर पूजा-अर्चना के साथ सुबह-शाम झूलेलाल दर्शन कथा का श्रवण भी करते है।
सिंधी समाज चालीस दिनों तक व्रत-उपवास में तेल-कांदा-लहसुन रहित सात्विक भोजन खाना 40 दिन के साथ ही आखरी 9 दिन व एक दिन के उपवास की भी परंपरा का पालन किया जाता हैं चालियाँ महोत्सव के 41वें दिन पल्लव साहब के साथ समापन किया जाता हैं। दीप जलाकर एवं दिव्य जोत के दर्शन लाभ कर अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना करने के लिए प्रतिदिन भक्तों का तांता लग रहता हैं ।
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