उल्हासनगर :
लोगों को साफ और स्वच्छ पानी देने के लिए उल्हासनगर महानगरपालिका प्रशासन द्वारा अरबों रुपया खर्च करने के बावजूद लोगों को ना तो स्वच्छ पानी मिल पा रहा है और न ही समय पर नलों में पानी आ रहा है। हर साल बरसात आते ही दूषित जलापूर्ति से लोगों को पानी पीना भी दुश्वार हो जाता है। पानी की पाइप लाइन बदलने के बावजूद हर रोज हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है साथ ही लोगों के घरों तक दूषित पानी आ रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर का विकास करवाने का दावा करने वाले लोग इस मूलभूत सुविधा को लेकर कितने गंभीर हैं। यहां सवाल ये उठता है कि जब लोगों को साफ और स्वच्छ पानी देने में या दिलवाने में शासन-प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है तो फिर विकास कैसे होगा। बस केवल करोड़ों रुपया इन सब मुद्दों में खर्च कर अपना पल्ला झाड़ना यही शासन-प्रशासन का काम रह गया है। यह देखने वाला या बोलने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है कि प्रशासन से ये सवाल पूछे कि जब अरबों रुपया नियमित रूप से स्वच्छ पानी देने के नाम पर खर्च किये गए हैं या अभी भी विभिन्न वार्डों में हो रहे हैं तो ऐसी समस्या क्यों है ?
Post a Comment