मानसून की पहली बारिश में उल्हासनगर हुआ पानी-पानी।



उल्हासनगर:

मानसून की पहली दस्तक से ही उल्हासनगर पानी-पानी हो गया।  हर साल यही होता आया है जब नदी नालों की सफाई के मद में मनपा द्वारा करोड़ों रुपया तो खर्च किए जाता है मगर ये रूपये व्यर्थ साबित हो जाते हैं। हालांकि संबंधित विभाग के बाबुओं की नाला सफाई के नाम पर चांदी हो जाया करती है और इसका परिणाम भुगतती है शहर की लाखों जनता। इस साल भी यही नजारा दिख रहा है  लेकिन मनपा प्रशासन मानों नींद में है। पिछले साल के परिणाम से कोई सबक नहीं सीखती है। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि हर साल उल्हासनगर में मानसून से पूर्व नदी नालों की सफाई का टेंडर मनपा निकालती है जो करोड़ों रुपयों के होते है। खास बात यह है कि हर साल बारिश में शहर डूबने के बावजूद एक ही ठेकेदार को ये नाला-सफाई का ठेका मिलता है।  जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इसके पीछे क्या राज छिपा हो सकता है। बहरहाल आज जब मानसून ने अपनी दस्तक दी तब उल्हासनगर फिर पानी-पानी हो गया। बारिश से शहर के निचले इलाके तो जलमग्न हुए ही, साथ ही कई प्रमुख सड़कों पर पानी ही पानी नजर आ रहा है। नालों का गंदा पानी लोगों की दुकानों और घरों में घुसने से लोग परेशान दिखे। यानि नदी नालों की सफाई का जो दावा मनपा करती है वो पूरी तरह से खोखला साबित हुआ है। ऐसा नहीं है कि ये इस साल हुआ है हर साल की यही कहानी है मगर मनपा कोई सबक नहीं ले पा रही है या लेने की कोशिश कर रही है। आलम यह है कि नाला सफाई के नाम पर निकलने वाले टेंडर से संबंधित विभाग के बाबुओं की चांदी रहती है। आज हुई पहली बारिश में शहर में भारी जल जमाव हो गया। शांतिनगर कार बाजार, उल्हास-अंबरनाथ रोड, राधाभाई चौक से खत्री भवन, उल्हासनगर- ३, सीएचएम कॉलेज परिसर, नाना-नानी पार्क, गोल मैदान, सपना गार्डन से सिंधु भवन रोड, फर्नीचर मार्केट, कैंप एक में बालकृष्ण नगर, राजीव गांधी नगर, विदर्भ वाडी,नामदेव वाडी, खेमानी परिसर समेत अन्य इलाकों में जल भराव होने से लोग परेशान हैं।




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