उल्हासनगर :
सिंधी समाज में तिजारी का त्योहार बड़ा महत्व रखता है, तिजरी माता का पूजन होता है, आधी रात भोर में बिना प्याज और लहसुन के जो खाना खाया जाता है उसमें खासकर रबड़ी का इस्तेमाल जरूर किया जाता है, सूरज निकलने से पहले भोर मे महिलाएं खाना खा लेती हैं , इसमें एक विशेष प्रकार की आयुर्वेदिक लकड़ी जिसको मुसाग बोलते हैं वह दांतों मे लगाया जाता है, ताकि पूरा दिन लालिमा चेहरे पर और होठों पर छाई रहे, पूरी तरह से सजदज कर पूरा दिन बिना कुछ खाए उपवास होता है, रात को चांद को देखकर अर्क दिया जाता है और तिजरी माता की कथा सुनकर व्रत समाप्त किया जाता है, यह विरत विवाहित महिलाए अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए और लड़किया मन चाहा जीवन साथी पाने हेतु रखती है, इस वर्ष आमदार कुमार ऐलानी जी , भुल्लर महाराज जी, और टोनी सिरवानी जी ने तिजरी का पर्व निशुल्क मेहंदी कैंप का आयोजन किया गया था, सबसे पहले निशुल्क मेहँदी शिविर की शुरुआत जय झूलेलाल संघर्ष सेवा समिति ने की थी, यह जानकारी इस संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री दीपक रंगीला जी ने दी।
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