उल्हासनगर (आनंद कुमार शर्मा) : उल्हासनगर शहर में कई सालों से गिरती इमारतों का सिलसिला जारी, शहर की राजनीती में धोकादायक इमारतों का मुद्दा हमेशा गरम रहा है किंतु प्रशासनिक अधिकारियों ओर सत्ताधारियों में तालमेल की कमी का खामियाजा आम जनता को भुगतना पढ़ता है।
गत १२ वर्षों से गिरती इमारतों, बेघर होते रहवासियों तथा उनके पुनर्वास के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों पर एक नजर।
आज शहर में जिस गति से इमारतें गिर रही है या जिस गति से धोकादायक इमारतें खाली कराई जा रही है, जिस गति से लोग बेघर हो रहे है उसी गति से उनका पुनर्वास और वैकल्पिक आवास क्यों नही हो रहा...??
क्यों न प्रशासन उसी गति से वैकल्पिक घर उपलब्ध कराएं जिस तरह से खाली करवा रही है...??
उल्हासनगर महानगर पालिका ने ३० जून २०२१ को बेघर जनता के लिए वैकल्पिक ट्रांजिट कैम्प हेतु २० करोड़ रुपये निधि की मंजूरी दी है, सवाल ये है कि उस ट्रांजिट कैम्प की परियोजना के २० करोड़ का क्या हुआ...??
कहाँ और कब इस परियोजना को जमीनी स्तर पर सुरु करके लोगों को आवास दिया जाएगा...??
जून से लेकर आज ४ महीनों तक शहर की जनता को इस परियोजना की जानकारी और अपडेट क्यों नही दी जा रही...??
धोखादायक इमारतों को खाली कराने से ज्यादा उसके रहवासियों को समाधान और राहत पर क्यों नही ध्यान दिया जा रहा...??
उल्हासनगर शहर में गिरी हुई इमारतों तथा धोकादायक इमारतों को सरकार द्वारा १३ सेप्टेंबर २०१९ की सूचना के अनुसार ४-एफएसआई (4-FSI) कब मिलेगी...??
सरकार द्वारा गिरी हुई इमारतों में मृत व्यक्तियों के परिजनों को घोषित ५ लाख रुपये की धन राशि कब मिलेगी...??
शाशन और प्रशासन द्वारा इन धोकादायक इमारतों के रहवासियों तथा बेघर हुए पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत कब मिलेगी...??
उल्हासनगर शहर के सभी राजनीतिक दलों तथा नेताओं को आपसी राजनीति को छोड़कर, इस शहर और शहरवासियों की समस्या का जल्द से जल्द निवारण कर राहत दिलाये।
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