आनंद कुमार शर्मा :
हिंदुस्तानी महिलाओं का बड़ा व्रत त्योहार करवा चौथ बुधवार ०४ नवंबर २०२० को हैं। इस दिन विवाहिता स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखतीं है तथा अविवाहित महिलाएं भी अच्छे और मनचाहे वर की कामना हेतु व्रत रखती है। करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, हिंदुस्तान में खास उत्तर भारत के राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
कोरोना काल मे सरकार जहाँ एक और सोशल डिस्टनसिंग, मास्क, आदी सावधानी बरतने के दिशानिर्देश दे रही है वहीं दूसरी तरफ करवा चौथ को लेकर बाज़ारों में दिनभर जमकर ग्राहकी रही, महिलाओं द्वारा मिट्टी के करवों के साथ सौंदर्य सामग्री, कपड़ों और साड़ियों की खरीदारी हुई। बुधवार को करवा चौथ को लेकर मंगलवार को पूरा बाजार महिलाओं से खचाखच भरा रहा, विशेषकर मेहंदी और ब्यूटी पार्लर की दूकानों पर लंबी कतारें और भीड़ देखी गई।
बुधवार को करवा चौथ के पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को ५:३३ से लेकर ६:३९ तक पूरे १ घंटा ६ मिनिट अवधि का है।
व्रत खोलने के लिए चंद्रमा के दर्शन करके तथा अर्घ देने के लिए चंद्रदोय का समय रात्रि ८:१२ का है।
१८ सालों में बन रहे विशेष योग के कारन से इस वर्ष अगर महिलाएं पहले फल खाकर व्रत खोले और फिर भोजन करे तो ज्यादा लाभदायक होगा।
करवा चौथ व्रत के नियम अनुसार व्रत सूर्य उदय से पहले सुरु करके चंद्रदोय तक करना चाहिए और चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत खोलना चाहिए।
शाम को सम्पूर्ण शिव परिवार (शिवजी, पार्वती, नंदी, गणेश और कार्तिक) की पूजा की जाती है।
पूजन के समय देव-प्रतिमा का मुख पश्चिम की तरफ़ होना चाहिए तथा स्त्री को पूर्व की तरफ़ मुख करके बैठना चाहिए।
करवा चौथ व्रत कथा के अनुसार एक साहूकार के सात बेटे थे और करवा नाम की एक बेटी थी। एक बार करवा चौथ के दिन उनके घर में व्रत रखा गया। रात्रि को जब सब भोजन करने लगे तो करवा के भाइयों ने उससे भी भोजन करने का आग्रह किया।
उसने यह कहकर मना कर दिया कि अभी चांद नहीं निकला है और वह चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन करेगी। अपनी सुबह से भूखी-प्यासी बहन की हालत भाइयों से नहीं देखी गयी। सबसे छोटा भाई एक दीपक दूर एक पीपल के पेड़ में प्रज्वलित कर आया और अपनी बहन से बोला - व्रत तोड़ लो, चांद निकल आया है।
बहन को भाई की चतुराई समझ में नहीं आयी और उसने खाने का निवाला खा लिया। निवाला खाते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला। शोकातुर होकर वह अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। अगले साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत किया, जिसके फलस्वरूप उसका पति पुनः जीवित हो गया।
करवा चौथ व्रत की पूजा-विधि
१. सुबह सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके पूजा घर की सफ़ाई करें। फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें।
२. यह व्रत उनको संध्या में सूरज अस्त होने के बाद चन्द्रमा के दर्शन करके ही खोलना चाहिए और बीच में जल भी नहीं पीना चाहिए।
३. संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें १० से १३ करवे रखें।
४. पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि थाली में रखें। दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहना चाहिए, जिससे वह पूरे समय तक जलता रहे।
५. चन्द्रमा निकलने से पहले पूजा के शुभ मुहूर्त पर पूजा की जानी चाहिए। अच्छा हो कि परिवार की सभी महिलाएं साथ पूजा करें।
६. पूजा के दौरान करवा चौथ कथा सुनें या सुनाएं।
७. चन्द्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाना चाहिए और साथ ही दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए।
८. चन्द्र-दर्शन के बाद बहू अपनी सास को थाली में सजाकर मिष्ठान, फल, मेवे, रूपये आदि देकर उनका आशीर्वाद लें और सास उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दें।
करवा चौथ में सरगी
पंजाब में करवा चौथ का त्यौहार सरगी के साथ आरम्भ होता है। यह करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले किया जाने वाला भोजन होता है। जो महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं उनकी सास उनके लिए सरगी बनाती हैं।
शाम को सभी महिलाएं श्रृंगार करके एकत्रित होती हैं और फेरी की रस्म करती हैं। इस रस्म में महिलाएं एक घेरा बनाकर बैठती हैं और पूजा की थाली एक दूसरे को देकर पूरे घेरे में घुमाती हैं। इस रस्म के दौरान एक बुज़ुर्ग महिला करवा चौथ की कथा गाती हैं। भारत के अन्य प्रदेश जैसे उत्तर प्रदेश और राजस्थान में गौर माता की पूजा की जाती है। गौर माता की पूजा के लिए प्रतिमा गाय के गोबर से बनाई जाती है।
द न्यू आझादी टाईम्स की तरफ से आप सभी को हिंदुओ और महिलाओं का प्रमुख त्योहार करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं।
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