आनंद कुमार शर्मा
उल्हासनगर जैसे छोटे से शहर में कोरोना पर नियंत्रण रखना कोई बड़ी बात नही थीं और ना ही बड़ी बात है अगर शहर के कुछ चुनिंदा अधिकारी तथा नुमाइंदे अपना स्वार्थ छोड़ कर सिर्फ शहर हित और समाज हित मे कोरोना मुक्त शहर अभियान को सही दिशा और तरीके से अंजाम दे लेकिन ऐसा नही होना दुर्भाग्यपूर्ण साबित हो रहा है।
जिस शहर की मिसाल अप्रैल और मई सुरुवात तक कोरोना पर काबू रखने के लिए दिया करते थे उसका हल कुछ स्वार्थी लोगों के कारण बेहाल हो गया।
देखते है कुछ सत्य तथ्यों के आधार पर, उल्हासनगर शहर में मई २०२० कि सुरुवात तक मात्र १५ कुल कोरोना संक्रमित व्यक्ति थे, लेकिन कुछ संगठन और पार्टियों के दबाव के चलते १० मई से मानसून पूर्व तैयारियों के लिए कुछ दुकानों को खोलने की मंजूरी उस समय के अयुक्त सुधाकर देशमुख ने दी लेकिन उसका गलत फायदा उठाकर शहर के व्यापारियों ने नियमों की अनदेखी करनी सुरु कर दी, बिना अनुमति के विभिन्न दुकानों ने काम सुरु कर दिया, सोशल डिस्टनसिंग, फेस मास्क आदी नियमों की धज्जियाँ उड़नी सुरु हो गयी, जिन दुकानों को होम डिलीवरी के नियमों के तहत व्यवसाय करने की छूट मिली थी उन्होंने काउंटर बिक्री सुरु कर कोरोना को निमंत्रण देना सुरु कर दिया और जब तक आयुक्त इस पर नियंत्रण औऱ लगाम लगा पाते उनका तबादला हो गया जिसके तहत खुलकर नियमों को दरकिनार कर दिया गया। शहर मे सारे प्रतिबंदित चीजें मिलने लगी शराब, गुटखा, तंबाखू, बीड़ी, सिगरेट खुलेआम बिकने लगा साथ ही रास्तों पर नास्ते के ठेले जैसे चाइनीस, वड़ा पाव, बटर पपड़ी, आदि बिकने सुरु हो गए थे जिनके सेवन से लोगों के स्वस्थ पर असर पड़ना स्वाभाविक था तथा कोरोना प्रकोप का ख़तरा तो शहर के दरवाजों पर इसी का इंतज़ार करते खड़ा था, जिसका नतीजा वही हुआ, ९ मई २०२० तक शहर में १५ कोरोना संक्रमित मरीजों से मई अंत तक आंकड़ा ३०० हो गया।
जून महीने में मिशन बिगिन अगेन के तहत तो मानो शहरवासियों और व्यापारियों को नियमों की अनदेखी करने में पंख लग गए जिसके कारण जून अंत तक कोरोना से संक्रमित लोंगो का आंकड़ा २००० पार हो गया। शहर में कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचारों में भी प्रशासन की नाकामयाबी देखने को मिली, मरीजों को वेंटिलेटर और ऑक्सिजन बेड की कमी, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और अनेक ऐसे कारण देखे गए।
इन सबके के बीच उल्हासनगर शहर में फिर एक बार नए आयुक्त डॉ राजा दयानिधि की नियुक्ति हुई जिन्होंने अपना पदभार संभालते ही शहर के सभी अस्पतालों और चिकित्सा सेवाओं का जायजा लिया और कोरोना पर काबू पाने के लिए आवश्यकता अनुसार कदम उठाते हुए २ जुलाई से २२ जुलाई तक लॉकडाउन कर बाकी सुविधाओं पर काम सुरु किया जिसके नतीजों के तहत शहर में चिकित्सा व्यवस्था में काफी सुधार देखने की मिला है और कोरोना संक्रामित एक्टिव मरीजों कि संख्या मे गिरावट आई।
अब फिर से शहर अनलॉक हो गया है लेकिन २३ जुलाई से अनलॉक हुए शहर में सही तरीके से नियमों पालन
नही हो रहा है। डर है कि नियंत्रण में आये कोरोना संक्रमण फिर से लोगों की लापरवाही और प्रशासन की ढिलाई से बेकाबू ना हो इसका ख्याल रखना जरूरी है।
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