कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए, अलग अलग प्रान्त में फसे हुए पर-प्रांतियो और अप्रवासी मजदूरों को अपने अपने गांव जाने के लिए सरकार द्वारा मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य करने के बाद शहर में प्राईवेट डॉक्टरों की लूट होने लगी जिसे देखकर कई समाजसेवियों ने इसकी शिकायत की।
उल्हासनगर के सेंट्रल हॉस्पिटल में मेडिकल सर्टिफिकेट मुफ्त में दिया जा रहा है, तो वहाँ लोगों की लंबी लंबी कतारें लगी हुई है, इस चिलचिलाती धूप में बोहोत से लोग जिनके पास प्राइवेट क्लिनिक में फीस देने के लिए नही है वो वहाँ मज़बूर दिखाई दिए।
परिस्थितियों को देखते हुए और कई शिकायतों के मद्देनजर उल्हासनगर मेडिकल एसोसिएशन ने अपने शहर के तमाम प्राइवेट डॉक्टरों को आव्हान किया कि इस महामारी के समय हमें अपने अप्रवासी मजदूर भाइयों का साथ देना है और अपने प्राइवेट क्लिनिक में मेडिकल सर्टिफिकेट तय फॉरमेट में देना का ₹१००/- से ज्यादा नहीं लेना अन्यथा एसोसिएशन उस पर कार्यवाही कर सकती है।
उल्हासनगर महानगरपालिका आयुक्त ने उल्हासनगर मेडिकल एसोसिएशन के वालंटियर्स डॉक्टरों को आग्रह किया है वो शहर को कोरोना मुक्त करने और अप्रवासी मजदूरों को मुफ्त मेडिकल सर्टिफिकेट कैम्प अपने सहुलियत के हिसाब से लगाये।
इस आव्हान और आग्रह के बाद शहर के कई डॉक्टरों ने आगे आके इसका समर्थन करते हुए गरीब मजदूरों को मुफ्त में जांच प्रमाण पत्र दिया जाने लगा है।
आज से यहाँ मिल रहे है मुफ्त में मेडिकल सर्टिफिकेट
१. सेंट्रल हॉस्पिटल
२. भागवंती नवानी स्टेज, गोल मैदान, उल्हासनगर-१
३. प्रभाग समिती-२, सपना गार्डन, उल्हासनगर-३
४. प्रभाग समिति-३, व्हि. टी. सी. ग्राउंड, उल्हासनगर-४
५. प्रभाग समिती-४, नेताजी चौक, उल्हासनगर-४
६. यात्री निवास, महानगर पालिका वार्ड ऑफिस, उल्हासनगर-२
इसी कड़ी में हमारी मुलाकात हुई धनवंतरी क्लिनिक के डॉ. हेमंत कुमार कोकस से जो अपने प्राइवेट क्लिनिक में मंगलवार ५ मई से ही बिना किसी के बोले खुद ही मुफ्त में गरीब और मजबूर मजदूरों को मेडिकल सर्टिफिकेट देने का काम कर रहे है। सुनते है उनके विचार और मानवता का एक बोहोत बड़ा उदाहरण।
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